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शब्दों का राजनीतिक क्लोरोफार्म

शब्द एक्सप्रेस
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पता नहीं कि मोदी सरकार से मेरा ऐसा क्या मोह है जो मुझे अक्सर उसकी बुराई करने से कम से कम बार तो मन ही मन रोकता है।  पता नहीं ये मोह इसलिए है कि मेरी शिक्षा विद्या भारती के विद्यालय में हुई है जो जनसंघ बी जे पी और आर एस एस की विचारधारा से प्रभावित रहा है या शायद इसलिए कि वर्षों से मैं आर एस एस से जुड़ा रहा।
मन में एक कशमकश भी जारी थी कि मैं बी जे पी विरोधी मानसिकता से बाहर  निकलूं और आलोचना के दृष्टिकोण को छोड़कर सकारात्मक पक्ष से भी कुछ  देखने की कुछ लिखने की कोशिश करूँ। सच कहूँ तो कुछ दिन से मन ही मन सोच रहा था बल्कि सोच क्या रहा था दूरबीन लेकर तलाश कर रहा था कि मोदी सरकार कि किसी उपलब्धि पर सकारात्मक लेख लिख कर अपने बी जी पी के समर्थक उन रिश्तेदारों और मित्रों  की नाराजगी दूर करने की कोशिश करूँगा जो मेरे द्वारा लिखे गए पिछले लेखों के चलते दिल में कुछ नाराजगी लेकर बैठे हुए हैं।
इस तरह इस बार अपने दिल में पूर्वग्रसित सकारत्मकता के भाव लेकर मैं मोदी सरकार की किसी महान उपलब्धि की बाट जोह रहा था कि मेरे सामने सांसद  किरीट सोमैया  को लिखा गया  भारत सरकार की वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण का एक पत्र आ गया जिसमें लिखा था कि भारत से गौमांस का निर्यात प्रतिबंधित और ये  पढ़कर एकबारगी तो दिल ने कहा कि “ये हुई ना बात ” जो कहा वो आखिरकार कर दिखाया।  ८० करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए  आखिरकार धन्यवादी पत्र के रूप में यह लेख लिखने बैठा ही था क़ि बार फिर दिल हुआ कि वो पत्र दोबारा पढ़ा जाए और दोबारा पढ़कर इस बात का यकीन हो गया कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के उपरान्त कुछ और सीखा या ना सीखा हो लेकिन जनता को शब्दों से भ्रमित करके राजनीति करनी जरूर सीख ली है।
किरीट सोमैया द्वारा ये पूछे जाने पर कि गौ हत्या के बारे में बी जी पी सरकार का क्या स्टैंड है भारत सरकार की वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिखित जवाब दिया गया है कि
1 जवाब कि पहली लाइन पढ़ते ही मोदी सरकार को जी भरकर बधाई देने का मन हुआ जब ये पढ़ा कि भारत की विदेशी पालिसी के अनुसार भारत में गाय बैल और बछड़े के मांस का निर्यात प्रतिबंधित है। इसलिए इसको निर्यात नहीं किया जा सकता ……………………………… ऐसी शानदार खबर की जिसे पढ़कर हर गौ भक्त और हिन्दू सरकार की जय जयकार कर उठे लेकिन अगली ही पंक्तियाँ पढ़कर सारी ख़ुशी काफूर होने लगी ……………. पढ़िए क्या लिखा है कि ………………….  भारत की विदेशी पालिसी के अनुसार भारत में गाय बैल और बछड़े के मांस का निर्यात प्रतिबंधित है इसलिए इसको निर्यात नहीं किया जा सकता ……………… लेकिन केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बटवारे के चलते (संघ सूची , राज्य सूची एवं समवर्ती सूची) पालतू पशुओं के संरक्षण का एकमात्र अधिकार राज्यों की विधानसभाओं को है।  गौ हत्या पर कानून बनाने/अध्यादेश लाना केंद्रीय सरकार के दायरे में नहीं है।
2 यहाँ यह भी बताया जा रहा है कि कॉमर्स विभाग ने 1 जनवरी 2014 से (यानि पिछली सरकार के समय से) 12 वें प्लान के तहत  ट्रांसपोर्ट असिस्टेंट सब्सिडी वापिस ले ली है जो 11 वें प्लान से मीट निर्यातकों को दी जा रही थी।
किरीट सौमैया मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी को वर्तमान काल के शब्दों में लिखकर देश की जनता को यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार  ने आते ही गौमांस प्रतिबंधित कर दिया है तथा सब्सिडी बंद कर दी है।  मतलब मैं हैरान हूँ कि किरीट सौमैया जैसे जागरूक नेता भी देश की जनता को सपनों का झुनझुना देकर बेवकूफ बना रहे हैं।
सच ये है कि गौमांस केंद्र सूची में शुरू से ही प्रतिबंधित है लेकिन मवेशियों के संरक्षण और  गौकशी रोकने का कानून राज्यसूची में आता है। मैं भी हैरान था कि जब मोदी सरकार ने गौ मांस पर यह कानून बना दिया है तो  नकवी के गौमांस खाने वाले ब्यान पर किरिन रिजीजू इतनी हिमाकत कैसे कर गए कि मुझे रोक कर दिखाओ गौमांस खाने से।  दूसरी बात बिना बीन  के सांप के नचाने में माहिर मोदी सरकार इतना बड़ा कानून बनाकर बिना कोई महिमामंडन किये इस “नेकी को करके दरिया में दाल दे ” और किसी को पता भी न चले, ऐसा कैसे संभव है ?
मोदी की छवि और उनके भाषणों में गौमांस विरोधी बयानों के चलते गौमांस निर्यातक बहुत बुरी तरह से खौफजदा थे लेकिन बाजार के आंकड़ें गवाह है कि मोदी सरकार  के आते ही गौमांस  निर्यात 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गया जिसका कारण यही है कि गौमांस केंद्र में तो प्रतिबंधित है और हरियाणा गुजरात मध्य प्रदेश दिल्ली और राज्यस्थान जैसे राज्यों में प्रतिबंधित है मगर केरल पश्चिम बंगाल और उत्तरपूर्वी राज्यों में यह वैध है यानि गौमांस रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग तो बंद है लेकिन राज्यों के रूप में इतनी गलियाँ मौजूद है जहाँ से आप जितना चाहे उतना गौमांस निर्यात कर सकते हैं।
मुझे याद आ रहा है कि चुनाव से  पहले मोदी अपने भाषणों में यह बात बड़ी जोर शोर से कहते थे कि यू पी ऐ सरकार की कोई और बड़ी उपलब्धि हो या ना हो पर “PINK  REVOLUTION ” यानि मांस क्रांति इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
दिल से कोशिश थी कि कुछ अच्छा लिखूं सरकार के लिए मगर सिवाय अँधेरे के फिलहाल कुछ नज़र नहीं आ  रहा।
1 बुजुर्ग फौजी महीने भर से हड़ताल पर है
2 गेस्ट अध्यापकों से वादाखिलाफी करके घर बैठा दिया  गया है
3 हरियाणा के किसानों का 350 करोड़ रूपये  का भुगतान रुका हुआ है और  वो भी धरने पर  है।
4 बेटी बचाओ का नारा देते हुए करनाल में नर्सिंग की छात्राओं पर लाठीचार्ज करवाया गया
5 जे बी टी इंटर्न पर लाठीचार्ज
6 कंप्यूटर टीचर पर लाठीचार्ज
7 बुजुर्गों की पेंशन  प्रक्रिया इतनी मुश्किल बना दी गई है कि हर जिले के अखबार पर बैंकों में धक्के खाते बुजुर्गों की तस्वीरें हैं
8 सरकारी कर्मचारियों से प्राइवेट हस्पतालों में इलाज करवाने की सुविधा छीन ली है। नियम बदलना है तो एम एल ए और मंत्रीयों को भी कहिये कि वो भी अपना इलाज सरकारी हस्पताल में ही कराएं।
फिलहाल तो बस यही कहा जा सकता है क़ि शब्दों का क्लोरोफार्म सुंघाकर भोली भाली जनता को सपने दिखाने का दौर जारी है और नींद टूटने पर इन दुस्वप्नों की हकीकत से जनता रूबरू होगी।

पता नहीं कि मोदी सरकार से मेरा ऐसा क्या मोह है जो मुझे अक्सर उसकी बुराई करने से कम से कम बार तो मन ही मन रोकता है।  पता नहीं ये मोह इसलिए है कि मेरी शिक्षा विद्या भारती के विद्यालय में हुई है जो जनसंघ बी जे पी और आर एस एस की विचारधारा से प्रभावित रहा है या शायद इसलिए कि वर्षों से मैं आर एस एस से जुड़ा रहा।

मन में एक कशमकश भी जारी थी कि मैं बी जे पी विरोधी मानसिकता से बाहर  निकलूं और आलोचना के दृष्टिकोण को छोड़कर सकारात्मक पक्ष से भी कुछ  देखने की कुछ लिखने की कोशिश करूँ। सच कहूँ तो कुछ दिन से मन ही मन सोच रहा था बल्कि सोच क्या रहा था दूरबीन लेकर तलाश कर रहा था कि मोदी सरकार कि किसी उपलब्धि पर सकारात्मक लेख लिख कर अपने बी जी पी के समर्थक उन रिश्तेदारों और मित्रों  की नाराजगी दूर करने की कोशिश करूँगा जो मेरे द्वारा लिखे गए पिछले लेखों के चलते दिल में कुछ नाराजगी लेकर बैठे हुए हैं।

इस तरह इस बार अपने दिल में पूर्वग्रसित सकारत्मकता के भाव लेकर मैं मोदी सरकार की किसी महान उपलब्धि की बाट जोह रहा था कि मेरे सामने सांसद  किरीट सोमैया  को लिखा गया  भारत सरकार की वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण का एक पत्र आ गया जिसमें लिखा था कि भारत से गौमांस का निर्यात प्रतिबंधित और ये  पढ़कर एकबारगी तो दिल ने कहा कि “ये हुई ना बात ” जो कहा वो आखिरकार कर दिखाया।  ८० करोड़ से ज्यादा हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए  आखिरकार धन्यवादी पत्र के रूप में यह लेख लिखने बैठा ही था क़ि बार फिर दिल हुआ कि वो पत्र दोबारा पढ़ा जाए और दोबारा पढ़कर इस बात का यकीन हो गया कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के उपरान्त कुछ और सीखा या ना सीखा हो लेकिन जनता को शब्दों से भ्रमित करके राजनीति करनी जरूर सीख ली है।

किरीट सोमैया द्वारा ये पूछे जाने पर कि गौ हत्या के बारे में बी जी पी सरकार का क्या स्टैंड है भारत सरकार की वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने लिखित जवाब दिया गया है कि

1 जवाब कि पहली लाइन पढ़ते ही मोदी सरकार को जी भरकर बधाई देने का मन हुआ जब ये पढ़ा कि भारत की विदेशी पालिसी के अनुसार भारत में गाय बैल और बछड़े के मांस का निर्यात प्रतिबंधित है। इसलिए इसको निर्यात नहीं किया जा सकता ……………………………… ऐसी शानदार खबर की जिसे पढ़कर हर गौ भक्त और हिन्दू सरकार की जय जयकार कर उठे लेकिन अगली ही पंक्तियाँ पढ़कर सारी ख़ुशी काफूर होने लगी ……………. पढ़िए क्या लिखा है कि ………………….  भारत की विदेशी पालिसी के अनुसार भारत में गाय बैल और बछड़े के मांस का निर्यात प्रतिबंधित है इसलिए इसको निर्यात नहीं किया जा सकता ……………… लेकिन केंद्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों के बटवारे के चलते (संघ सूची , राज्य सूची एवं समवर्ती सूची) पालतू पशुओं के संरक्षण का एकमात्र अधिकार राज्यों की विधानसभाओं को है।  गौ हत्या पर कानून बनाने/अध्यादेश लाना केंद्रीय सरकार के दायरे में नहीं है।

2 यहाँ यह भी बताया जा रहा है कि कॉमर्स विभाग ने 1 जनवरी 2014 से (यानि पिछली सरकार के समय से) 12 वें प्लान के तहत  ट्रांसपोर्ट असिस्टेंट सब्सिडी वापिस ले ली है जो 11 वें प्लान से मीट निर्यातकों को दी जा रही थी।

किरीट सौमैया मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी को वर्तमान काल के शब्दों में लिखकर देश की जनता को यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार  ने आते ही गौमांस प्रतिबंधित कर दिया है तथा सब्सिडी बंद कर दी है।  मतलब मैं हैरान हूँ कि किरीट सौमैया जैसे जागरूक नेता भी देश की जनता को सपनों का झुनझुना देकर बेवकूफ बना रहे हैं।

सच ये है कि गौमांस केंद्र सूची में शुरू से ही प्रतिबंधित है लेकिन मवेशियों के संरक्षण और  गौकशी रोकने का कानून राज्यसूची में आता है। मैं भी हैरान था कि जब मोदी सरकार ने गौ मांस पर यह कानून बना दिया है तो  नकवी के गौमांस खाने वाले ब्यान पर किरिन रिजीजू इतनी हिमाकत कैसे कर गए कि मुझे रोक कर दिखाओ गौमांस खाने से।  दूसरी बात बिना बीन  के सांप के नचाने में माहिर मोदी सरकार इतना बड़ा कानून बनाकर बिना कोई महिमामंडन किये इस “नेकी को करके दरिया में दाल दे ” और किसी को पता भी न चले, ऐसा कैसे संभव है ?

मोदी की छवि और उनके भाषणों में गौमांस विरोधी बयानों के चलते गौमांस निर्यातक बहुत बुरी तरह से खौफजदा थे लेकिन बाजार के आंकड़ें गवाह है कि मोदी सरकार  के आते ही गौमांस  निर्यात 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गया जिसका कारण यही है कि गौमांस केंद्र में तो प्रतिबंधित है और हरियाणा गुजरात मध्य प्रदेश दिल्ली और राज्यस्थान जैसे राज्यों में प्रतिबंधित है मगर केरल पश्चिम बंगाल और उत्तरपूर्वी राज्यों में यह वैध है यानि गौमांस रोकने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग तो बंद है लेकिन राज्यों के रूप में इतनी गलियाँ मौजूद है जहाँ से आप जितना चाहे उतना गौमांस निर्यात कर सकते हैं।

मुझे याद आ रहा है कि चुनाव से  पहले मोदी अपने भाषणों में यह बात बड़ी जोर शोर से कहते थे कि यू पी ऐ सरकार की कोई और बड़ी उपलब्धि हो या ना हो पर “PINK  REVOLUTION ” यानि मांस क्रांति इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

दिल से कोशिश थी कि कुछ अच्छा लिखूं सरकार के लिए मगर सिवाय अँधेरे के फिलहाल कुछ नज़र नहीं आ  रहा।

1 बुजुर्ग फौजी महीने भर से हड़ताल पर है

2 गेस्ट अध्यापकों से वादाखिलाफी करके घर बैठा दिया  गया है

3 हरियाणा के किसानों का 350 करोड़ रूपये  का भुगतान रुका हुआ है और  वो भी धरने पर  है।

4 बेटी बचाओ का नारा देते हुए करनाल में नर्सिंग की छात्राओं पर लाठीचार्ज करवाया गया

5 जे बी टी इंटर्न पर लाठीचार्ज

6 कंप्यूटर टीचर पर लाठीचार्ज

7 बुजुर्गों की पेंशन  प्रक्रिया इतनी मुश्किल बना दी गई है कि हर जिले के अखबार पर बैंकों में धक्के खाते बुजुर्गों की तस्वीरें हैं

8 सरकारी कर्मचारियों से प्राइवेट हस्पतालों में इलाज करवाने की सुविधा छीन ली है। नियम बदलना है तो एम एल ए और मंत्रीयों को भी कहिये कि वो भी अपना इलाज सरकारी हस्पताल में ही कराएं।

फिलहाल तो बस यही कहा जा सकता है क़ि शब्दों का क्लोरोफार्म सुंघाकर भोली भाली जनता को सपने दिखाने का दौर जारी है और नींद टूटने पर इन दुस्वप्नों की हकीकत से जनता रूबरू होगी।

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